शुक्रवार, 19 सितंबर 2014

भगवान की पूजा से जुड़ी ११ खास बातें

ये हैं भगवान की पूजा से जुड़ी ११ खास बातें, आप भी जानिए देवी-देवताओं का पूजन हिंदू धर्म का अभिन्न अंग है। पूजन के अभाव में हिंदू धर्म की कल्पना भी नहीं की जा सकती। हिंदू धर्म को मानने वाला प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन किसी न किसी रूप में भगवान का स्मरण अवश्य करता है। हिंदू धर्म ग्रंथों में पूजन के संबंधित बहुत ही बातें बताई गई हैं लेकिन जानकारी के अभाव में बहुत से लोग ये बातें नहीं जानते।
हमारे धर्म ग्रंथों में कुछ विशेष फूल या वस्तु किसी विशेष देवता को अर्पित करना वर्जित माना गया है। पूजन से जुड़ी ऐसी अनेक छोटी-छोटी मगर बहुत महत्वपूर्ण बातें हैं इसलिए इन बातों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है।
आज हम आपको देवी-देवताओं के पूजन से जुड़ी कुछ ऐसी ही खास बातें बता रहे हैं।

१- सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु को पंचदेव कहा गया है। सुख की इच्छा रखने वाले हर मनुष्य को प्रतिदिन इन पांचों देवों की पूजा अवश्य करनी चाहिए। किसी भी शुभ कार्य से पहले भी इनकी पूजा अनिवार्य है।

२- शिवजी की पूजा में कभी भी केतकी के फूलों का उपयोग नहीं करना चाहिए। सूर्यदेव की पूजा में अगस्त्य के फूल वर्जित हैं। भगवान श्रीगणेश को तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए।

३- सुबह स्नान करने के बाद जो मनुष्य देवताओं के लिए फूल तोड़ देवताओं को अर्पित करता है, उसे देवगण प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार करते हैं। वायुपुराण के अनुसार जो भी व्यक्ति बिना स्नान किए तुलसी के पत्ते तोड़ता है व देवताओं को अर्पित करता है, ऐसी पूजा को देवता ग्रहण नहीं करते।

४- देवताओं के पूजन में अनामिका अंगुली से गंध लगाने का विधान हमारे शास्त्रों में वर्णित है। देवताओं की पूजा के लिए घी का दीपक अपनी बाईं ओर तथा तेल का दीपक अपनी दाईं ओर रखना चाहिए।

५- तंत्र शास्त्र के अनुसार पूजन में देवताओं को धूप, दीप अवश्य दिखाना चाहिए तथा नेवैद्य (भोग) भी जरुर होना चाहिए। देवताओं के लिए जलाए गए दीपक को स्वयं कभी नहीं बुझाना चाहिए।

६- पूजन में बासी जल, फूल और पत्तों का त्याग करना चाहिए। किंतु शास्त्रों के मतानुसार गंगाजल, तुलसीपत्र, बिल्वपत्र और कमल ये किसी भी अवस्था में बासी नहीं होते।

७- लिंगार्चन चंद्रिका के अनुसार भगवान सूर्य की सात, श्रीगणेश की तीन, विष्णु की चार और शिव की तीन परिक्रमा करनी चाहिए। कुछ ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव की आधी परिक्रमा करने का ही निर्देश है।

८- पूजन स्थल के ऊपर कोई कबाड़ या वजनी चीज न रखें। पूजन स्थल पर पवित्रता का ध्यान रखें जैसे- चप्पल पहनकर कोई स्थापना स्थल तक न जाए, चमड़े का बेल्ट या पर्स रखकर कोई पूजा न करें आदि।

९- शिवमहापुराण के अनुसार श्रीगणेश को जो दूर्वा चढ़ाई जाती है वह जडऱहित, बारह अंगुल लंबी और तीन गांठों वाली होना चाहिए। ऐसी १०१ या १२१ दूर्वा से श्रीगणेश की पूजा करना चाहिए।

१०- विष्णु को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग का रेशमी वस्त्र अर्पित करना चाहिए तथा शक्ति और सूर्य तथा गणेश को प्रसन्न करने के लिए लाल रंग के वस्त्र अर्पित करना चाहिए। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सफेद वस्त्र अर्पित करने का विधान है।

११- भगवान शिव को हल्दी नहीं चढ़ाना चाहिए और न ही शंख से जल चढ़ाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार ये दोनों कर्म शिव पूजा में निषेध हैं। पूजन में एक बात का विशेष ध्यान रखें कि पूजन स्थल की सफाई प्रतिदिन करें। पूजन स्थल पर कचरा इत्यादि न जमा हो पाए।