मंगलवार, 14 अक्तूबर 2014

कन्या पूजन

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। अष्टमी व नवमी तिथि के दिन तीन से नौ वर्ष की कन्याओं का पूजन किए जाने की परंपरा है। धर्म ग्रंथों के अनुसार तीन वर्ष से लेकर नौ वर्ष की कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप मानी जाती है।

शास्त्रों के अनुसार एक कन्या की पूजा से ऐश्वर्य, दो की पूजा से भोग और मोक्ष, तीन की अर्चना से धर्म, अर्थ व काम, चार की पूजा से राज्यपद, पांच की पूजा से विद्या, छ: की पूजा से छ: प्रकार की सिद्धि, सात की पूजा से राज्य, आठ की पूजा से संपदा और नौ की पूजा से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।

कन्या पूजन की विधि इस प्रकार है-

कन्या पूजन में तीन से लेकर नौ साल तक की कन्याओं का ही पूजन करना चाहिए इससे कम या ज्यादा उम्र वाली कन्याओं का पूजन वर्जित है। अपने सामर्थ्य के अनुसार नौ दिनों तक अथवा नवरात्रि के अंतिम दिन कन्याओं को भोजन के लिए आमंत्रित करें। कन्याओं को आसन पर एक पंक्ति में बैठाएं। ऊँ कौमार्यै नम: मंत्र से कन्याओं का पंचोपचार पूजन करें।

इसके बाद उन्हें रुचि के अनुसार भोजन कराएं। भोजन में मीठा अवश्य हो, इस बात का ध्यान रखें। भोजन के बाद कन्याओं के पैर धुलाकर विधिवत कुंकुम से तिलक करें तथा दक्षिणा देकर हाथ में पुष्प लेकर यह प्रार्थना करें-

मंत्राक्षरमयीं लक्ष्मीं मातृणां रूपधारिणीम्।
नवदुर्गात्मिकां साक्षात कन्यामावाहयाम्यहम्॥
जगत्पूज्ये जगद्वन्द्ये सर्वशक्तिस्वरुपिणि।
पूजां गृहाण कौमारि जगन्मातर्नमोस्तु ते॥

तब वह पुष्प कुमारी के चरणों में अर्पण कर उन्हें ससम्मान विदा करें।

सिन्दूर


सुहागनों के श्रृंगार की अभिन्न वस्तु माना जाने वाला सिन्दूर न सिर्फ प्रत्येक देवी देवता के पूजन में सबसे पहले उपयोग किया जाता है बल्कि जीवन में आनेवाली अनेकानेक परेशानियों और दोषों को दूर करने में भी सहायक है. बिना सिन्दूर, कुंकुम, रोली के हम इस जीवन में खुशियाँ भी नहीं मना सकते है.ज्योतिष अनुसार भी सिन्दूर का अपना एक विशेष स्थान है, और तंत्र, मन्त्र या यंत्र साधना से जुड़ें क्रिया कलापों में सिन्दूर बहु प्रचलित सामग्री है.

इसका उपयोग सामान्य धार्मिक कर्मों से लेकर गूढ़ तांत्रिक कर्मों तक किया जाता है. सिन्दूर के वैसे तो अनेक प्रयोग है. किन्तु आज यहां पर कुछ सरल एवं शीघ्र फलकारी प्रयोग लिख रहा हूं जो कि हमारे ऋषि मुनियों ने मनुष्यों की भलाई के लिए शास्त्रों में किसका वर्णन किया है.इसका सविधि एवं श्रद्धापूर्वक प्रयोग करने से अवश्य ही मनोकामना पूर्ण हुई है.

१. जिन व्यक्तियों को मंगली दोष है, अथवा मंगल दोष के कारण विवाह में विलम्ब अथवा दाम्पत्य सुख में कमी का अनुभव हो रहा हो, तो उन्हें शुक्ल पक्ष के मंगलवार को श्री हनुमान जी पर सिन्दूर चढ़ाना चाहिए. यह प्रयोग नौ बार करे, तो निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी.

२. जिन व्यक्तियों को आए दिन वाहनादि से दुर्घटना का सामना करना पड़ रहा है, तो उन्हें मंगलवार के दिन श्री हनुमान जी के मंदिर में सिन्दूर दान करना चाहिए. इससे शीघ्र हो दुर्घटना का भय आदि समाप्त होता है.

३. यदि आपको आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है तो, एकाक्षी नारियल पर सिन्दूर चड़ा कर उसे लाल वस्त्र में बांधकर माँ लक्ष्मी से धन की प्रार्थना करते हुए अपने व्यवसाय स्थल पर रख देना चाहिए इसके प्रभाव से धन की समस्या दूर होने के साधन बनते जायेंगे.

४. यदि सूर्य अथवा मंगल आपके लिए मारक ग्रह है और उनकी महादशा या अंतर्दशा चल रही है, तो सिन्दूर को बहते जल में प्रवाहित करें ऐसा करने से सम्बंधित ग्रह का प्रभाव कम हो जाता है. और सूर्य तथा मंगल, मारक न बन कर शुभ ग्रह का फल देने लगते है.

५. यदि प्रतियोगी परीक्षा में आप बैठ रहे है, तो गुरु-पुष्य योग में अथवा शुक्ल पक्ष के पुष्य योग में श्री गणेश जी के मंदिर में सिन्दूर का दान करने से परीक्षा में परिश्रम से अधिक सफलता प्राप्त होगी, तथा आत्मविश्वास की वृद्धि भी होगी.

६. यदि रक्त से सम्बंधित किसी रोग से आप पीड़ित है, तो सिन्दूर को अपने ऊपर से उसारकर बहते हुए जल में प्रवाहित करें, ऐसा करने से रोग में लाभ मिलता है. और रोग शीघ्र शांत हो जाता है.

७. जिन व्यक्तियों को नजर अधिक लगती है, इन्हें सम्भव हो सके तो प्रत्येक दिन अन्यथा मंगलवार और शनिवार को श्री हनुमान जी के मंदिर में जाकर उनके चरणों से थोड़ा सा सिन्दूर लेकर अपने मस्तक पर धारण करना चाहिए ऐसा करने से नजर दोष से बचाव हो जाता है.

८. यदि आपके ऊपर किसी ने अभिचार कर दिया है, अथवा भूत, प्रेत आदि उपरी बाधा से पीड़ित है, तो अपने क्षेत्र के प्रसिद्द श्री हनुमान मंदिर में सिन्दूर का चोला चढाना चाहिए ऐसा पांच बार करें. सारी बाधाए एकदम समाप्त होने लगेंगी.

९. यदि आपके ऊपर अभिचार कर्म किये जाने की आशंका हो, तो शनिवार को दोपहर में किसी एकांत चौराहे पर नींबू काटकर उसके चार फांक कर ले और उसमे सिन्दूर डाल कर उसे चारों दिशाओं में फेंक दे. ऐसा करने से आपके शत्रु द्वारा किया गया अभिचार कर्म पूर्ण रूप से समाप्त हो जायगा.

१०. अपने घर के मुख्यद्वार के ऊपर सिन्दूर चढ़ी हुई श्री गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करने से घर में सुख समृद्धि एवं शान्ति बनी रहती है.

११. यदि आप कर्जों से परेशान है. अथवा व्यवसाय में बाधा उत्पन्न हो रही हो अथवा आय में वृद्धि नहीं हो पा रही हो, तो सिन्दूर का यह प्रयोग आपके लिए अत्यंत लाभकारी रहेगा, एक सियार सिंगी लेकर उसे एक डिब्बी में रख ले और उसे प्रत्येक पुष्य नक्षत्र में सिन्दूर चढाते रहे. ऐसा करने से शीघ्र ही शुभ फल मिलेगा.

१२. अपनी तिजोरी में सिन्दूर युक्त हत्था जोड़ी रखने से आर्थिक लाभ में वृद्धि होने लगती है.

१३. जो महिलाए अपने परिवार और पति को स्वस्थ और आर्थिक समस्या से मुक्त देखना चाहती है, उन्हें प्रतिदिन अपनी मांग में सिदूर प्रातः और संध्या के समय अवश्य भरना चाहिए. मांग में सिन्दूर भरने से शास्त्र में वर्णित है कि जो महिला अपनी मांग नित्य प्रातः और संध्या के समय भरती है उसका परिवार हमेशा रोगमुक्त, भयमुक्त तथा संपन्न रहता है. औए पति की आयु में वृद्धि होती है घर में कभी कर्ज नहीं चढता है और वह महिला सदा सुहागन का जीवन व्यतीत करती है.

१४. जो महिला कामकाजी है यदि वो सिन्दूर से प्रतिदिन अपनी मांग भरती है तो उसकी उन्नति होने लगती है. तथा घर बरकत बनी रहती है.

१५. मांग भरने से महिला के ससुराल पक्ष को ही लाभ नहीं मिलता बल्कि उसके मायके परिवार में भी लाभ होता है. उसके भाई- बहनों से अच्छे सम्बन्ध होने लगते है. तथा सदभाव बढता है. किसी भी प्रकार के भेदभाव समाप्त हो जाते है चाहे वह ससुराल या मायके के पक्ष के हो.

इस प्रकार एक सिन्दूर हमारे जीवन में अनेक खुशियों के लेकर आता है. आज ही सिन्दूर का उपयोग करें और अपने घर से दुर्भाग्य को दूर कर दे।

सोमवार, 6 अक्तूबर 2014

क्या आप जानते हैं कि....


हमारे हिन्दू सनातन धर्म की परम्पराओं में ..... मंगलवार, गुरूवार और शनिवार को ...""बाल एवं नाख़ून" कटवाने से क्यों मना किया जाता है...?????

क्योंकि ... आजकल ये बात तो लगभग हर किसी को मालूम है कि.... ऐसा नहीं करना चाहिए....
लेकिन, ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए .... शायद ही किसी को मालूम हो...!

और... इसका परिणाम ये होता है कि....
जाने-अनजाने.... हम हिन्दू स्वयं ही.... अपनी परम्पराओं को ..... अन्धविश्वास घोषित कर देते हैं ... और, उसका पालन करना .... अपनी आधुनिक शिक्षा के खिलाफ समझते हैं...!

जबकि.... सच्चाई ये है कि....

हम हिन्दुओं के अधिकतर परंपराओं और रीति-रिवाजों के पीछे....... एक सुनिश्वित एवं ठोस वैज्ञानिक कारण होता है...!

और इसीलिए.... आज भी हम.... घर के बड़े और बुजुर्गों को यह कहते हुए सुनते हैं कि.......मंगलवार, गुरूवार और शनिवार के दिन....... बाल और नाखून भूल कर भी नहीं काटने चाहिए...!

असल में ..... जब हम अंतरिक्ष विज्ञान और ज्योतिष की प्राचीन और प्रामाणिक पुस्तकों का अध्ययन करते हैं तो ......हमें इन प्रश्रों का बड़ा ही स्पष्ट वैज्ञानिक समाधान प्राप्त होता है...!

होता यह कि..... मंगलवार, गुरुवार और शनिवार के दिन ....... ग्रह-नक्षत्रों की दशाएं तथा अंनत ब्रह्माण्ड में से आने वाली अनेकानेक सूक्ष्मातिसूक्ष्म किरणें ( कॉस्मिक रेज़ ) ....मानवीय शरीर एवं मस्तिष्क पर अत्यंत संवेदनशील प्रभाव डालती हैं।

और..... अब वैज्ञानिक विश्लेषणों से यह भी स्पष्ट है कि ...... इंसानी शरीर में उंगलियों के अग्र भाग तथा सिर अत्यंत संवेदनशील होते हैं... तथा, कठोर नाखूनों और बालों से इनकी सुरक्षा होती है...!

इसीलिये ऐसे प्रतिकूल समय में ....... इनका काटना शास्त्रों के अनुसार वर्जित, निंदनीय और अधार्मिक कार्य माना गया है।

यह बेहद सामान्य सी बात है कि.... हर किसी का मानसिक स्तर एक समान नहीं होता है...... ना ही हर किसी को..... एक-एक कर ... हर बात की वैज्ञानिकता समझाना संभव हो पाता....

इसीलिए... हमारे ऋषि-मुनियों ने ..... गूढ़ से गूढ़ बातों को भी ...... हमारी परम्परों और रीति-रिवाजों का हिस्सा बना दिया.... ताकि, हम जन्म-जन्मांतर तक .... अपने पूर्वजों के ज्ञान-विज्ञान से लाभान्वित होते रहें...!

जानो ... समझो और अपनी अक्ल लगाओ हिन्दुओं .....

क्योंकि... अक्ल हमेशा ही भैस से बड़ी होती है....!! Rakesh Tiwari