सोमवार, 3 जुलाई 2017

श्रावणमास

*🚩रुद्राभिषेक से क्या क्या लाभ मिलता है ?🔱*

शिव पुराण के अनुसार किस द्रव्य से अभिषेक करने से क्या फल मिलता है अर्थात आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रुद्राभिषेक करा रहे है उसके लिए किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए का उल्लेख शिव पुराण में किया गया है उसका सविस्तार विवरण प्रस्तुत कर रहा हू और आप से अनुरोध है की आप इसी के अनुरूप रुद्राभिषेक कराये तो आपको पूर्ण लाभ मिलेगा।

श्लोक

जलेन वृष्टिमाप्नोति व्याधिशांत्यै कुशोदकै

दध्ना च पशुकामाय श्रिया इक्षुरसेन वै।

मध्वाज्येन धनार्थी स्यान्मुमुक्षुस्तीर्थवारिणा।

पुत्रार्थी पुत्रमाप्नोति पयसा चाभिषेचनात।।

बन्ध्या वा काकबंध्या वा मृतवत्सा यांगना।

जवरप्रकोपशांत्यर्थम् जलधारा शिवप्रिया।।

घृतधारा शिवे कार्या यावन्मन्त्रसहस्त्रकम्।

तदा वंशस्यविस्तारो जायते नात्र संशयः।

प्रमेह रोग शांत्यर्थम् प्राप्नुयात मान्सेप्सितम।

केवलं दुग्धधारा च वदा कार्या विशेषतः।

शर्करा मिश्रिता तत्र यदा बुद्धिर्जडा भवेत्।

श्रेष्ठा बुद्धिर्भवेत्तस्य कृपया शङ्करस्य च!!

सार्षपेनैव तैलेन शत्रुनाशो भवेदिह!

पापक्षयार्थी मधुना निर्व्याधिः सर्पिषा तथा।।

जीवनार्थी तू पयसा श्रीकामीक्षुरसेन वै।

पुत्रार्थी शर्करायास्तु रसेनार्चेतिछवं तथा।

महलिंगाभिषेकेन सुप्रीतः शंकरो मुदा।

कुर्याद्विधानं रुद्राणां यजुर्वेद्विनिर्मितम्।

अर्थात

जल से रुद्राभिषेक करने पर —               वृष्टि होती है।
कुशा जल से अभिषेक करने पर —        रोग, दुःख से छुटकारा मिलती है।
दही से अभिषेक करने पर —                  पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होती है।
गन्ने के रस से अभिषेक  करने पर —     लक्ष्मी प्राप्ति
मधु युक्त जल से अभिषेक करने पर — धन वृद्धि के लिए।
तीर्थ जल से अभिषेकक करने पर —     मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इत्र मिले जल से अभिषेक करने से —     बीमारी नष्ट होती है ।
दूध् से अभिषेककरने से   —                   पुत्र प्राप्ति,प्रमेह रोग की शान्ति तथा  मनोकामनाएं  पूर्ण
गंगाजल से अभिषेक करने से —             ज्वर ठीक हो जाता है।
दूध् शर्करा मिश्रित अभिषेक करने से — सद्बुद्धि प्राप्ति हेतू।
घी से अभिषेक करने से —                       वंश विस्तार होती है।
सरसों के तेल से अभिषेक करने से —      रोग तथा शत्रु का नाश होता है।
शुद्ध शहद रुद्राभिषेक करने से   —-         पाप क्षय हेतू।
इस प्रकार शिव के रूद्र रूप के पूजन और अभिषेक करने से जाने-अनजाने होने वाले पापाचरण से भक्तों को शीघ्र ही छुटकारा मिल जाता है और साधक में शिवत्व रूप सत्यं शिवम सुन्दरम् का उदय हो जाता है उसके बाद शिव के शुभाशीर्वाद सेसमृद्धि, धन-धान्य, विद्या और संतान की प्राप्ति के साथ-साथ सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाते हैं।

श्रावणमास

जय श्री राधे कृष्णा
इस सावन 17 साल बाद बनेंगे शुभ संयोग, सोमवार से शुरू होगा सावन

भगवान शिव को अतिप्रिय श्रवण (सावन) मास का शुभारंभ 10 जुलाई से हो रहा है और समापन 7 अगस्त को होगा। इस बार पांच सोमवारी पड़ेंगे।

पहली सोमवारी 10 जुलाई व आखिरी 7 अगस्त को है। धार्मिक मान्यता है कि सावन में भोलेनाथ के पूजन और अभिषेक से श्रद्धालुओं की हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

शिव पुराण के हवाले से बताया कि लगभग 17 वर्ष के बाद सावन मास में अलौकिक योग का संयोग बना है। सावन की शुरुआत चंद्राश योग में हो रहा है।

विरल संयोग बन रहा है कि सावन की शुरुआत व समापन सोमवारी से हो रही है। एक और संयोग बन रहा है। तीन वर्ष के बाद सावन में पांच सोमवारी का योग बना है। पांच सोमवारी के चलते ही महागजकेशरी योग का संयोग अति फलदायी है। विवाहित महिलाएं सुहाग के लिए और कुंवारी कन्याएं अच्छे पति के लिए सावन की सोमवारी का व्रत रखती हैं।

भगवान शिव को सावन का महीना, इसलिए प्रिय है क्योंकि इसी मास में माता पार्वती ने व्रत कर उन्हें पति के रूप में पाया था। देवी सती ने इसी मास में पिता दक्ष के घर में शरीर त्यागने के बाद हर जन्म में महादेव को अपना पति बनाने का प्रण लिया था।

कर्ज से मुक्ति: आक फूल में इत्र मिलाकर, धतूरे के फूल के साथ' पद और प्रतिष्ठा: 21 बेलपत्र में अबरख और भांग से ' विवाह बाधा दूर के लिए: भांग, नारियल पानी, कपरूर व शम्मी पत्ता' मांगलिक कन्याएं: खोया की मिठाई, बेलपत्र, गुलाबी अबरख' संतान के लिए: दूध और घी ' लक्ष्मी के लिए: दूध-ईख के रस से ' स्वास्थ्य के लिए: दूध व दही से ' शत्रु नाश के लिए: घी व सरसों तेल राशि के हिसाब से पूजन ' मेष, वृश्चिक: पांच बेलपत्र, अनार रस, भांग,धतूरा, नारियल पानी,' वृष, तुला: इत्र,आक फूल, शम्मी पत्ता' मिथुन, कन्या: गुलाबी अबरख, बेलपत्र ' कर्क: केला, भांग, बेल के रस' सिंह: गन्ने का रस, इत्र, गुलाबजल' धनु, मीन: कनैल फूल, दूब का रस, सरसों तेल' मकर, कुंभ: कपरूर व जल का मिश्रण, श्रीखंड चंदन, इत्र व बेलपत्र।

सावन में बेलपत्र, दूध, गंगाजल, भांग, धतूर, मदार फूल भोलेनाथ को अर्पित करने से शनि भी प्रसन्न होते हैं। ऐसा करने से शनि की ढैया व साढ़े साती से परेशान लोगों को लाभ होता है।