गुरुवार, 21 दिसंबर 2017

भारत और भारतीय संवत

भारत एक बहुसभ्यता व संस्कृति से समन्वित देश है, आज यहाँ अनेकों भाषा, अनेकों संप्रदाय, या यूं कहें कई मजहब के लोग रहते हैं। इस भारत भूमि ने क्या कुछ नहीं देखा, कितने डकैत, लुटेरे यहाँ आए इसे लूटा और अपनी सभ्यता छोड़ चले गए।

पर यह भारत और यहाँ की सभ्यता आहत अवश्य हुई पर मिटी नहीं। भारत में सनातन संस्कृति सबसे पुरानी है, इसलिए हमारा संवत्सर सभी मजहबों से पुराना है। आपको स्मरण रहे की ईसा से सन ईसवी और हज़रत मुहम्मद से हिजरी को जोड़ा जाता है।

पूरे विश्व में जब किसी समाज मात्र पर कोई घटना घटती है तो उस घटना को स्मरण में रखने के लिए उस समाज का अधिनायक अपने नाम पर संवत चलाया करते थे। संवत से तात्पर्य प्रारंभिक काल या समय की जानकारी से है।

आज हम 2018-19 ईस्वी में जीवन जी रहे हैं, इसी प्रकार आप देखें तो आज हिजरी 1440-41 है। इसका सीधा अर्थ यह की हिजरी संवत से ईस्वी संवत 578 वर्ष पुराना है। इसी प्रकार ईस्वी से विक्रम संवत 57 वर्ष पहले का है अर्थात अभी विक्रम संवत 2074 चल रहा है। 18 मार्च अर्थात चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से विक्रम संवत 2075 हो जाएगा।

परन्तु हमारे भारतीय काल-गणना में कल्प, मन्वन्तर, युग आदि के पश्चात् संवत्सर का नाम आता है। युग भेद से सत युग में ब्रह्म-संवत, त्रेता में वामन-संवत, परशुराम-संवत (सहस्त्रार्जुन-वध से) तथा श्री राम-संवत (रावण-विजय से), द्वापर में युधिष्ठिर-संवत और कलि में विक्रम, विजय, नागार्जुन और कल्कि के संवत प्रचलित हुए या होंगे।

ज्योतिर्विदाभरण में कलियुग के 6 व्यक्तियों के नाम आए हैं, जिन्होंने संवत चलाये थे, यथा-
1.युधिष्ठर
2.विक्रम
3.शालिवाहन
4.विजयाभिनन्दन
5.नागार्जुन
6.कल्की

संवत के प्रकार
पाँच संवतों के नाम हैं, यथा -
1.श्रीहर्ष,
2.विक्रमादित्य,
3.शक,
4.वल्लभ एवं
5.गुप्त संवत।

प्राचीन काल में भी कलियुग के आरम्भ के विषय में विभिन्न मत रहे हैं। आधुनिक मत है कि कलियुग ई. पू. 3102 में आरम्भ हुआ। इस विषय में चार प्रमुख दृष्टिकोण हैं-

1.युधिष्ठर ने जब राज्य सिंहासनारोहण किया।

2.यह 36 वर्ष उपरान्त आरम्भ हुआ जब कि युधिष्ठर ने अर्जुन के पौत्र परीक्षित को राजा बनाया।

3.पुराणों के अनुसार कृष्ण के देहावसान के उपरान्त यह आरम्भ हुआ।

4.वराहमिहिर के मत से युधिष्ठर-संवत का आरम्भ शक-संवत के 2426 वर्ष पहले हुआ, अर्थात दूसरे मत के अनुसार, कलियुग के 653 वर्षों के उपरान्त प्रारम्भ हुआ।

शास्त्रों में इस प्रकार भूत एवं वर्तमान काल के संवतों का वर्णन तो है ही, भविष्य में प्रचलित होने वाले संवतों का वर्णन भी है। इन संवतों के अतिरिक्त अनेक राजाओं तथा सम्प्रदायाचार्यों के नाम पर संवत चलाये गये हैं। भारतीय संवतों के अतिरिक्त विश्व में और भी धर्मों के संवत हैं। तुलना के लिये उनमें से प्रधान-प्रधान की तालिका दी जा रही है- वर्ष ईस्वी सन 1949 को मानक मानते हुए निम्न गणना की गयी है।

भारतीय-संवत
क्र0सं0   नाम                    वर्तमान वर्ष
1       कल्पाब्द               1,97,29,49,118
2       वामन-संवत।         1,96,08,89,118
3       सृष्टि-संवत।           1,95,58,85,118
4       श्रीराम-संवत               1,25,69,118
5       श्रीकृष्ण संवत                       5,243
6       युधिष्ठिर संवत                       5,118
7       बौद्ध संवत                           2,592
8      महावीर (जैन) संवत                2,544
9      श्रीशंकराचार्य संवत                 2,297
10    विक्रम संवत                          2,074
11    शालिवाहन संवत                    1,939
12    कलचुरी संवत।                      1,7699
13    वलभी संवत                          1,697
14    फ़सली संवत                          1,420
15    बँगला संवत  बी।                     1,324
16    हर्षाब्द संवत।                          1,410
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