शनिवार, 12 मई 2018

विभीषण की माता कौशिल्या

विभीषण की माता कौसल्या और पिता दशरथ?
पहली कथा सुनने में मिलती है”:―
कि कैकसी राक्षसी और ऋषि विश्वश्रवा से उत्पन्न हुए रावण एवं कुंभकर्ण, ये दोनों पुत्र दुष्टकर्मा राक्षस थे। किंतु इन्हीं ऋषि के आशीर्वाद के कारण, कैकसी का तृतीय पुत्र विभीषण, अपने पिता के समान ब्राह्मण वंशीय एवं धर्मात्मा उत्पन्न हुए।

“अब दूसरी कथा को समझते हैं”:―
यह कथा भारत में नहीं अपितु श्रीलंका में विख्यात है। कहते हैं जब रावण को इस बात की जानकारी हुई की कौशिल्या का पुत्र उसकी और उसके परिवार की मृत्यु का कारण बनेगा, तब उसने अपने सैनिकों से कहकर कौशल प्रदेश के राजा कौशिक की पुत्री कौशिल्या जी को विवाह मंडप से अपहरण करवा कर उन्हें लंका के सिंहल द्वीप में सुरक्षित अपने निगरानी में रखता है।

एक बार दशरथ जी सिंहल द्वीप पहुंचे। वहां दशरथ जी का मिलन कौशल्या से हुआ। जिस कारण कौशिल्या जी गर्भवती हो जाती हैं। इधर दशरथ जी कौशिल्या जी से विवाह का प्रस्ताव रखते हैं। तब कौशिल्या जी कहती हैं इस समय मैं लंका के राजा रावण के संरक्षण में हूं। यदि वह आदेश देता है तो अवश्य आपसे विवाह करूंगी। यह सुनकर दशरथ जी अयोध्या वापस आ जाते हैं। समय बीतने पर जब कौशिल्या जी को पुत्र होता है तब कौशिल्या जी ने यह खबर दशरथ जी तक भिजवाया। यह सुन दशरथ जी सुमन्त जी को साथ लेकर तुरत चल पड़े, जब दशरथ जी कौशिल्या जी से मिलते हैं, तब कौशिल्या जी ने अपने पर बीती सारी बात बताई।

तब दशरथ जी ने विवाह करने का फ़ैसला लिया और इस प्रकार ब्राह्मण होने के कारण सुमन्त जी ने स्वयं दोनों का विवाह संस्कार सम्पन्न कराया। विवाह से पहले उत्पन्न संतान को समाज धर्म के कारण त्याग कर दिया, और अयोध्या वापस लौट आए।

विश्वश्रवा की पत्नी मालिनी एक गगन चरी थी। वह आकाश मार्ग से उड़ रही थी, तभी उसने उस बच्चे को देखा। भूख से व्याकुल होने के कारण बालक को निगल गई। विश्वश्रवा ने ध्यान लगाकर देखा तो इस बालक को योग बल के द्वारा अपने दूसरी पत्नी मालिनी के गर्भ में स्थापित किया और इस प्रकार विभीषण जी का जन्म हुआ। विश्वश्रवा ने अपनी पत्नी मालिनी को बताया है कि वह बालक राक्षस वंश का कुल दीपक होगा इसलिए इस बालक का जीवित रहना जरूरी है। आगे चलकर वह परमात्मा राम का भक्त होगा।

कथा का प्रसंग सटीक नहीं इस कथा में कई प्रश्न खड़े हो सकते हैं । जैसे कि भगवान श्री राम के पिता राजा चक्रवर्ती दशरथ कभी नन्हें शिशु को निर्जन द्वीप में त्याग कर जा ही नहीं सकते आदि आदि। इसलिए मेरी दृष्टि में यह कथा कपोल कल्पित है।

भविष्य में 14 रामायण रचे हुए हैं। कंबन रामायण से लेकर तुलसी कृत रामायण और  अध्यात्म रामायण में  प्राचीन कथाएं दी गई हैं। शास्त्र परंपरा के अनुसार विभीषण मालिनी का पुत्र हुआ, यह कथा स्वामी करपात्री जी की कथा में सुनी है।

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