अब तक के अध्ययन से आप जान चुके हैं कि तिथि और वार के संयोग से किस प्रकार भिन्न भिन्न योगों का निर्माण होता है। आइये इस क्रम को जारी रखते हुए हम अगले योग की बात करें जिसका नाम है। हुताशन नामक यह योग भी अशुभ फलदायी है। यह योग किस प्रकार से बनता है व इसका क्या पभाव है आइये इसे समझें।
हुताशन योग बनने के लिए तिथि और वार में किस प्रकार का संयोग होना चाहिए अर्थात हुताशन योग कैसे बनता है आइये पहले इसे जानलें।
१.रविवार का दिन हो और तिथि हो द्वादशी, इस बार और तिथि का संयोग होने पर हुताशन योग बनेगा।
२.दिन हो सोमवार का और तिथि हो षष्टी तब यह अशुभ योग बनता है।
३.जब मंगल के दिन सप्तमी तिथि पड़े तब इस योग का निर्माण होता है।
४.अष्टमी तिथि जब बुधवार के दिन पड़ता है तब हुताशन योग बनता है।
५.तिथि हो नवमी और दिन हो गुरूवार का तो इस संयोग का फल हुताशन योग होता है।
६.शुक्रवार के दिन जब कभी दशमी तिथि पड़ जाती है तब भी, हुताशन योग बनाता है।
७.शनिवार के दिन जब एकादशी तिथि हो तब आपको कोई शुभ काम करने की इज़ाजत नहीं दी जाती है क्योंकि यह अशुभ विष योग का निर्माण करती है।
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