शुक्रवार, 3 जुलाई 2015

जानें भोजन करने के गुण​

आज कल लोग पश्चिमी सभ्यता को अपनाकर अपनी सभ्यता को धूमिल करते जा रहे हैं । मैं आज भोजन से जुड़ी बातें करने जा रहा हूँ । मुझे अभी भी याद है यह कुछ ज्यादा समय की बात नहीं है । जब भोजन के लिए मैं अपने पिता जी के साथ बैठता था तो मेरे पिता जी मुझे भोजन करते देख मेरी बुराईयों पर नाराज हो जाया करते थे ।

जब मैं चम्मच से भोजन करता तो कहते "हाथ टूट गया है क्या" ? पर मैं उनकी इस बात को समझ न पाता इसलिए मैं उनके साथ भोजन करने में कतराता था। परन्तु आज वह स्थिती नहीं है । आज मैं उनकी उन तानेपूर्ण बातों को समझपाया।

मित्रो.. हमारे माता-पिता हमें हमेसा अच्छी शिक्षा देते हैं पर हम उनकी बातों को ध्यन नहीं देते । हाथ से भोजन करना भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है। यही कारण है भारत में आज भी अधिकांश लोग हाथ से खाना पसंद करते हैं। आपने महसूस भी किया होगा, जब आप चम्मच से भोजन करते है तो लगता भोजन में अभी कुछ बाकी है, क उछ कमी सा महसूस होता है जैसे पेट भरा ही न हो । लेकिन पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में कई लोगों ने छुरी, कांटे या चम्मच से खाना शुरू कर दिया है, क्योंकि वो ये नहीं जानते कि अपने हाथों से खाना खाने के कई फायदे हैं ।
ध्यान से पढिये..

आयुर्वेद के अनुसार हमारे हाथों प्राणाधार एनर्जी होती है। इसका कारण है कि हम सब पांच तत्वों से बने हैं, जिन्हे जीवन ऊर्जा भी कहते हैं। ये पांचों तत्व हमारे हाथ में मौजूद हैं। हमारे हाथों का अंगूठा अग्नि का प्रतीक है। तर्जनी उंगली हवा की प्रतीक है। मध्यमा उंगली आकाश की प्रतीक है। अनामिका उंगली पृथ्वी की प्रतीक है और सबसे छोटी उंगली जल की प्रतीक है। इनमे से किसी भी एक तत्व का असंतुलन बीमारी का कारण बन सकता है।

आपको याद होगा जब हम अग्नी में होम करते है तब पण्डित जी मंत्र कहते हैं- ॐ प्राणाय स्वाहा। ॐ अपानाय स्वाहा। ॐ उदानाय स्वाहा। ॐ समानाय स्वाहा। ॐ व्यानाय स्वाहा। ये वही पांच वायु शक्ती है, जिससे हमारे शरीर का जीवन चक्र चलता है । वृन्दाबन में जब मैं शिक्षा ग्रहण कर रहा था तब मेरे (शिवकरण) गुरुजी ने यह बात हम सभी बच्चों को बताया था कि जब हम स्वास लेते हैं तब उस प्राण वायु (आक्सीजन​) शरीर में प्रवेश कर अन्य चार वायु उत्पन्न करता है । ये ही पांच वायु से हमारा भोजन का पचना, रक्त का दौड़ना, बमन(उल्टी) होना मल-मूत्र को बेग देना आदि का कार्य करता है ।

जब हम हाथ से भोजन खाते हैं तो हम अंगलियों और अंगूठे को मिलाकर भोजन खाते हैं और इससे जो हस्त मुद्रा बनती है। उसमें शरीर को निरोग रखने की क्षमता होती है। इसलिए जब हम भोजन खाते हैं तो इन सारे तत्वों को एक जुट करते हैं जिससे भोजन ज्यादा ऊर्जादायक बन जाता है और यह स्वास्थ्यप्रद बनकर हमारे प्राणाधार की एनर्जी को संतुलित रखता है, पाचन क्रिया में सुधार होता है।

टच हमारे शरीर का सबसे मजबूत अक्सर इस्तेमाल होने वाला अनुभव है। जब हम हाथों से खाना खाते हैं तो हमारा मस्तिष्क हमारे पेट को यह संकेत देता है कि हम भोजन खाने वाले हैं। इससे हमारा पेट इस भोजन को पचाने के लिए तैयार हो जाता है, अौर पाचन तंत्र से भोजन पचाने वाले रासायन स्त्रावित होने लगते हैं। जिससे पाचन क्रिया सुधरती है। आपके हाथ अच्छे तापमान संवेदक का काम भी करते हैं। जब आप भोजन को छूते हैं तो आपको अंदाजा लग जाता है कि यह कितना गर्म है और आप इसे अपने शरीर की आवश्यकता के अनुसार तापमान पर ही ग्रहण करते हैं और यही शरीर के लिए फायदेमंद भी होता है।

हाथ से खाना खाने में आपको खाने पर ध्यान देना पड़ता है। इसमें आपको खाने को देखना पड़ता है और जो आपके मुह में जा रहा है उस पर ध्यान केंद्रित करना पड़ता है। इसे माइंडफुल ईटिंग भी कहते है। इसलिए यह मशीन कि भांति चम्मच और कांटे से भोजन खाने से ज्यादा स्वास्थयप्रद है। माइंडफुल ईटिंग के कई फायदे हैं इनमे से सबसे महत्वपूर्ण फायदा यह है कि इससे खाने के पोषक तत्व बढ़ जाते हैं। जिससे पाचन क्रिया सुधरती है और यह आपको स्वस्थ रखता है।

तो कैसी लगी यह जानकारी आपको अब आप इसे जानकारी समझकर भूलिए नहीं आचरण में लाकर स्वस्थ्य रहिये । 
___आचार्य राकेश तिवारी
9833218792

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