सोमवार, 3 अप्रैल 2017

श्रीकृष्ण प्रेम

गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं! अर्जुन- ‘धर्माविरुद्धो भूतेषु कामोस्मी भरतार्शभा’
धर्म से अविरुद्ध, धर्म सम्मत जो काम है। वह मैं हूँ। जो धर्म के विरुद्ध हो वह नहीं, धर्मसम्मत काम मैं हूँ।

कितनी अच्छी बात है। पर आज समाज में श्रेष्ठ कहलाने वाले वे धर्माज्ञानी लोग भगवान् श्रीकृष्ण की तुलना रोमियो से करते हैं। श्रीकृष्ण महायोगी हैं, श्रीकृष्ण जगद्गुरु हैं, जिन्होंने इस संसार को प्रेम सिखाया, वह प्रेम कैसा है सात्विक है। श्रीकृष्ण ने कभी किसी स्त्री का वस्त्र नहीं उतारा वे तो वस्त्र प्रदान करते है स्त्री की लज्जा को ढकने वाले हैं।

उनके जितना सामर्थ किसी में नहीं। पहले श्रीकृष्ण क्या हैं यह जानो और जिस दिन यह जान गए तुम्हे भी उनसे प्रेम हो जाएगा। ----आचार्य राकेश

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