सोमवार, 23 जून 2014

मानव शरीर


मानव शरीर (आश्चर्यजनक किन्तु सत्य) मनुष्य के शरीर में इतनी चर्बी है कि उससे साबुन की सात बट्टियां बनाई जा सकती हैं। इतना चूना है कि उससे 10X10 फुट के एक कमरे की पुताई की जा सकती है। 14 किलोग्राम के करीब कोयला (कार्बन) है। अग्नितत्त्व (फास्फोरस) यानि आग इतना है कि उससे करीब 2200 माचीस बनाई जा सकती हैं। 1 इंच लंबी कील बनाने लायक लोहा और एक चम्मच गंधक होता है। और करीबन एक चम्मच अन्य धातुएं जैसे सोना, पारा आदि होती हैं। शरीर में  50% पानी होता है। इस शरीर को जीवित रखने के लिए ताजिन्दगी ईंधन के रूप में 50 टन खाद्य सामग्री और 11000 गैलन पीने वाले पदार्थों की जरुरत होती है।

मनुष्य जब जन्म लेता है तो उसके शरीर में 305 हड्डियां होती हैं। मनुष्य जैसे-जैसे बडा होता है, वैसे-वैसे ये हड्डियां घटकर 205 रह जाती हैं। इन हड्डियों मे 100 जोड होते हैं। शरीर में 650 पेशियां होती हैं। हड्डियों और पेशियों को जोडने वाली कंडरा (टेंडन) 8 टन प्रति साढे छह वर्ग सेंटीमीटर दबाव सह सकती है। अपनी पूरी जिन्दगी में शहरी आदमी लगभग 16000 किलोमीटर और ग्रामीण 48000 किलोमीटर पैदल चल लेता है। शरीर में उपलब्ध धमनियों, शिराओं और कोशिकाओं को मिलाकर नसों की लम्बाई 96540 किलोमीटर होती है। प्रति मिनट 10 फुट खून उछलता है। खून में उपलब्ध 25 खरब लाल कोशिकाएं (रक्ताणु) प्रतिपल रोगाणुओं से लडने को तैयार रहती हैं। सफेद कोशिकाएं (श्वेताणु) जीवन पर्यन्त 5 अरब बार सांस लेने में मदद करती हैं। शरीर में व्यवस्थित सभी अंग वाटरप्रूफ थैलियों में सुरक्षित रहते हैं। शरीर की संपूर्ण त्वचा लगभग 20 वर्गफुट लंबी व चौडी होती है। पूरे शरीर में करीब 50 लाख बाल होते हैं। जीवन का संपूर्ण आनन्द लूटने के लिए 9000 स्वाद कोशिकाएं होती हैं। प्रत्येक तीन साल में त्वचा सांप की केंचुली की तरहपरिवर्तित होती रहती है। श्वेताणुओं की उम्र 120 दिन होती है। शेष कोशिकाओं के जीवन-मरण का सिलसिला चलता रहता है।

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