हर लड़की एक ना एक दिन विवाह कर ससुराल जाती है.
उसका ससुराल अच्छा रहे यह सभी विवाहिता की कामना होती है. सास आप को प्यार करें. ससुर बेटी की तरह माने. जेठ-देवर
आप का सम्मान करे और ननद के साथ आपके रिश्ते मधुर रहे ऐसे सुख इच्छा हर लड़की होती
है. गृहस्थ जीवन का सुख व्यक्ति आगे ही लेकर
जाता है. परंतु परिवार में कलह व्यक्ति के जीवन में परेशानियां पैदा करता है. ससुराल में जीवन को सुखमय एवं खुशहाल बनाने के लिए
ज्योतिष में कुछ उपाए बताए गए हैं. उनमें से एक यह मारक उपाय है. ससुराल में सुखी रहने के लिए कन्या अपने हाथ से
हल्दी की साबुत गांठें, पीतल का एक टुकड़ा और थोड़ा-सा गुड़ ससुराल की ओर फेंक दें.
ऐसा करने से ससुराल में सुख एवं शांति का वास रहता है. और इसका लाभ को मिलना शुरू हो जाएगा.
शरीर में तिल तथा उसके पड़ने वाले प्रभाव मनुष्य के शरीर में उपस्थित सभी प्रकार के चिन्ह,
मनुष्य के जीवन में घटित होने वाले घटनाओं का संकेत करता हैं। सभी उपस्थित चिन्हों
में प्रमुख चिन्ह हैं, तिल।
तो आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं की शरीर अंग में
उपस्थित तिल हमारे जीवन के किस भाव को प्रभावित करता है।
- शरीर अंग जीवन में पड़ने वाले प्रभाव
- ललाट पर तिल. धनवान होना
- माथे के दाहिने ओर तिल. मान प्रतिष्ठा में वृद्धि हो
- दोनो भौंह के मध्य में तिल. यात्रा कारक अर्थात जीवन में यात्रा अधिक करता है
- बायीं आँख पर तिल. दाम्पत्य जीवन में कलह कराता हैं
- दाहिनी आँख पर तिल. औरत से विशेष प्यार
- ठोडी पर तिल. औरत से प्यार कम होता है
- बायें गाल पर तिल. हो तो खर्चीला स्वभाव का व्यक्ति होता
- दाहिने गाल पर. धन की बढोत्तरी होवें ऊपर के
- होंठो पर तिल. विषयवासना में रत रहे
- नीचे के होंठ पर तिल धन की कमी रहें
- कान पर तिल. आयु मध्यम रहे
- दाहिने भुजा पर तिल. मान प्रतिष्ठा प्राप्त हो
- बांयी भुजा पर तिल. झगड़ा होते रहे जीवन में
- नाक पर तिल. यात्रा कारक है
- बायीं छाती पर तिल. दाम्पत्य जीवन में कलह
- दाहिनी छाती पर तिल. पत्नी से प्यार
- दोनों छातियों के मध्य में. जीवन सुखमय रहे
- हृदय पर तिल हो. बुध्दिमानी का द्योतक
- पसली पर तिल. डरपोक स्वभाव के होते हैं
- पीठ पर तिल हो. यात्रा में रहा करे
- पेट पर तिल हो. श्रेष्ठ भोजन की इच्छा रहे
- बगल में तिल हो. दूसरों को हानि पहुँचावे
- बायें हाथ के उपरी भाग पर. व्यय अधिक होवे
- बायीं हथेली पर तिल. व्यय कारक
- दाहिनी हथेली पर तिल. धनवान होते जातक
- कमर पर तिल. जातक का मन अशान्त रहे
- बायें पैर पर तिल. अपव्यय कारक
- दाहिने पैर पर तिल. यात्रा कारक
- पाँव के तलवे में तिल यात्रा अधिक होवे
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