मन्दिर में पैसे फेंकना बहुत-बड़ा अपराध है ।
अक्सर हमने बहुत बार देखा है कि लोग मन्दिर मे अपनी जेब से
1,
2,
5 का सिक्का या कोई-भी नोट निकाल कर भगवान के सामने फेंकते है । फिर हाथ जोडकर प्रणाम करते है एवं मनोकामना भगवान से माँगते है ।
कैसी मूर्खता है ❗
यह लोगो की:-
कोई आपके सामने पैसे फेंककर चला जाये तो क्या आपको अच्छा लगेगा ❓
नही लगेगा ❗
आप उस व्यक्ति को बुलाकर कहोगे__""भिखारी समझा है क्या""
तो सोचिये भगवान को कैसी-फीलिंग आती होगी, जब कोई उनके सामने पैसे
फेंकता है ?
अब जो यह कहे कि भैया 【पत्थर की मूर्ति】 मे कैसी फीलिंग, तो उनका मन्दिर जाना बेकार है ।
10 रूपये चढ़ाकर 10 करोड़ कि कामना करते है ।
भगवान के सामने शर्त रखते है कि है भगवान मेरे बेटे कि नौकरी लगने के बाद मंदिर मे भंडारा करवाऊंगा ।
मेरा ये संकट टाल दो,तो इतने रूपये दान करूंगा ।
पहले कुछ नही करेंगे, काम होने के बाद ही करेंगे ।
हे भगवान, मेरा ये काम हो जाये मै आपको मानना शुरू कर दूँगा ।
क्यो भाई, भगवान को क्या जरूरत पड़ी है कि, वो तुम्हे अपने होने का प्रमाण दें ❓
ऐसे, लोभी-लालची व्यक्तियों को समझना चाहिए कि उन्हें तुम क्या दे दोगे ?
जो सम्पूर्ण-विश्व को
पाल रहा है ⁉
दाता ! एक-राम, भिखारी सारी दुनिया ‼
""भगवान को आपका पैसा नही चाहिये,
उन्हें तो सिर्फ आपकी सच्ची-भावना और प्रेम चाहिये ।""
उनके सामने जब भी जाये तो अपने 【पद, पैसे, ज्ञान का अहंकार】 त्याग कर [दीन-हीन】 बनकर जाये ।
क्योंकि आपके पास जो कुछ भी है,यह {सब उन्ही-का}तो है ।
एक बार इस बात पर विचार अवश्य करिए ⁉
तेरा दर ढूँढते-ढूँढते जिन्दगी की शाम हो गयी ❗
और
तेरा दर मिला तो जिन्दगी ही तेरे नाम हो गई ‼
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