बुधवार, 30 जुलाई 2014

गणपती आरती


सुख करता दु:ख हरता वार्ता विघ्नाची, नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची।
सर्वांगी सुन्दर उतीशेंदु राची, कंठी झलके माल मुखता पधांची॥१
जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति, दर्शन मारते मन कामना पूर्ति
जय देव जय देव ॥
रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा, चंदनाची उती कुमकुम के सहारा।
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा, रुण्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया॥२
जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति, दर्शन मारते मन कामना पूर्ति
जय देव जय देव ॥
लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना, सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना।
दास रामाचा वाट पाहे सदना, संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना॥३
जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति, दर्शन मारते मन कामना पूर्ति
जय देव जय देव ॥
शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को, दोन्दिल लाल विराजे सुत गौरीहर को।
हाथ लिए गुड़ लड्डू साई सुरवर को, महिमा कहे न जाय लागत हुँ पद को॥४
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता, धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव ॥
अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी, विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी।
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी, गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी॥५
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता, धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव ॥
भावभगत से कोई शरणागत आवे, संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे।
ऐसे तुम महराज मोको अति भावे, गोसावी नंदन निशिदिन गुण गावे॥६
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता, धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव ॥
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 वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ​।

निर्विघ्नम् कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

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