आत्महत्यारे घोर नरकों में जाते हैं और हजारों नरक-यातनाएँ भोगकर फिर देहाती सूअरों की योनि में जन्म लेते हैं। इसलिए समझदार मनुष्य को कभी भूलकर भी आत्महत्या नही करनी चाहिए। आत्महत्यारों का न तो इस लोक में और न परलोक में ही कल्याण होता है।
(स्कंद पुराण, काशी खंड, पूर्वार्द्धः 12.12,13)
आत्महत्या करने वाला मनुष्य 60 हजार वर्षों तक अंधतामिस्र नरक में निवास करता है। (पाराशर स्मृतिः 4.1-2)
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