आवासीय भवनों में मुख्यत: निम्न प्रयोजनों के लिए व्यवस्था
बनानी होती है।
स्नानागरं क्षिशिप्राच्या आग्नेय्या व मानस:।
याम्यायां शयनागरं नैऋव्यां वस्त्रमंदिरम।
वारुण मनिग्रहं वायव्यां देव तालयम।
एक न्यक्ता निशस्यानि स्वस्वाये स्वस्व दिक्ष्वपि।
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